Taraweeh Ki Dua In Hindi 2025 – तरावीह की दुआ हिंदी में

आज़ इस पैग़ाम में आप बहुत ही आला दुआ यानी तरावीह की दुआ हिंदी में पढ़ेंगे यहां पर हमने तरावीह की दुआ हिंदी में बहुत ही आसान लफ्ज़ों में पेश किया है जिससे आप आसानी से याद भी कर लेंगे।

आप यहां पर तरावीह की दुआ बहुत ही साफ़ लफ्ज़ों और तीन मशहूर जबान में पढ़ेंगे जिससे आप को समझने में आसानी भी होगी और अपने जहन में भी बसा लेंगे और हमेशा तरावीह में इस दुआ को ज़रूर पढ़ेंगे।

Taraweeh Ki Dua In Hindi

  • सुब्हा नजिल मुल्कि वल मलकूत
  • सुब्हा नजिल इज्जति वल अजमति वल हैबति वल कुदरति वल किबरियाए वल जबरूत
  • सुब्हानल मलिकिल हय्यिल लजी ला यनामु व ला यमूतू
  • सुब्बुहून कुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाएकति वरूहु
  • अल्लाहुम्म‌ अजिरना मिनन्नारि
  • या मुजिरू या मुजिरू या मुजिरू बि रहमति क या अर हमर्राहिमीन

तरावीह की दुआ हिंदी में

सुब्हा नजिल मुल्कि वल मलकूत. सुब्हा नजिल इज्जति वल अजमति वल हैबति वल कुदरति वल किबरियाए वल जबरूत. सुब्हानल मलिकिल हय्यिल लजी ला यनामु व ला यमूतू. सुब्बुहून कुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाएकति वरूहु. अल्लाहुम्म‌ अजिरना मिनन्नारि. या मुजिरू या मुजिरू या मुजिरू बि रहमति क या अर हमर्राहिमीन.

Taraweeh Ki Dua In English

Subhaa-Nazeel Mulki Wal Malqoot. Subhaa-Nazeel Izzati Wal Azmati Wal Haybati Wal Qudrati Wal Kibriyaae Wal Jabrut. Subhanal Malikeel Hayyeel Lazi Laa Yanaamu Wa La Yamutu. Subbuhoon Kuddusoon Rabbuna Wa Rabbul Malaaekati Waruhoo. Allahumma Azirnaa Minnari. Yaa Muziroo Yaa Muziroo Yaa Muziroo Bi Rahmateeka Yaa Ar-Hamarrahimeen.

Taraweeh Ki Dua In Arabic

سُبْحَانَ ذِی الْمُلْکِ وَالْمَلَکُوْتِ ط سُبْحَانَ ذِی الْعِزَّةِ وَالْعَظَمَةِ وَالْهَيْبَةِ وَالْقُدْرَةِ وَالْکِبْرِيَآئِ وَالْجَبَرُوْتِ ط سُبْحَانَ الْمَلِکِ الْحَيِ الَّذِی لَا يَنَامُ وَلَا يَمُوْتُ سُبُّوحٌ قُدُّوْسٌ رَبُّنَا وَرَبُّ الْمَلَائِکَةِ وَالرُّوْحِ ط اَللّٰهُمَّ اَجِرْنَا مِنَ النَّارِ يَا مُجِيْرُ يَا مُجِيْرُ يَا مُجِيْرُ بِرَحْمَتِكَ يَااَرْحَمَ الرّٰحِمِيْن.

Taraweeh Ki Dua Ka Tarjuma

मुल्क व मलकूत वाला पाक है इज्ज़त व बुजुर्गी और हैबत व कुदरत वाला बड़ाई और जबरूत वाला पाक है बादशाह जो जिन्दा है जो न सोता है न मरता है पाक मुकद्दस है फरिश्तों और रूह का मालिक अल्लाह के सिवा कोई मा’बुद नहीं अल्लाह से हम मगफिरत चाहते हैं तुझ से जन्नत का सवाल करते हैं और जहन्नम से तेरी पनाह मांगते हैं।

Taraweeh Ki Dua Ka Tarjuma In English Text

Mulk Wa Malkut Wala Paak Hai Izzat wa Buzurgi Aur Haibat wa Kudrat Wala Badaai Aur Jabrut Wala Paak Hai Badshah Jo Zinda Hai Jo Na Sota Hai Na Marta Hai Paak Mukaddas Hai Farishton Aur Rooh Ka Malik Allah Ke Siwa Koi Ma’abud Nahi Allah Se Ham Maghfirat Chahte Hain Tujh Se Jannat Ka Sawaal Karte Hain Aur Jahanna Se Teri Panaah Mangte Hain.

तरावीह की दुआ का मतलब क्या है?

तरावीह की दुआ का मतलब एक ऐसी दुआ जो रमज़ान माह के दिनों में तरावीह में पढ़ा जाता है यह दुआ एक बहुत ही ख़ास किस्म की दुआ है और भी इसके अलावा दुआ है जो तरावीह के दौरान पढ़े जाते हैं।

लेकीन इस दुआ को हम सब तरावीह की नमाज पढ़ते हुए हर चार रकात के बाद इस तस्बीह तरावीह यानी तरावीह की दुआ को पढ़ते हैं साथ ही बैठे बैठे कलमा शरीफ या फिर कोई सूरह भी पढ़ते हैं।

इस दुआ में हम अपनी मगफिरत की तलब करते हैं जिसमें हम सब पहले अपनी रब की तारिफीयां बयां करते हैं क्योंकि उसके अलावा कोई है भी नहीं, वो ही हम सब को इज्जत और ताकत देता है।

FAQs

क्या तरावीह पढ़ना ज़रूरी है?

हां सभी मज़हब ए इस्लाम के लिए तरावीह पढ़ना ज़रूरी है।

तरावीह की दुआ कब पढ़ी जाती है?

तरावीह की दुआ तरावीह पढ़ते समय हर चार रकात के बाद पढ़ी जाती है।

तरावीह में कौन सी दुआ पढ़ी जाती है?

तरावीह में तरावीह की तस्बीह को दुआ के रूप में हर चार रकात के बाद पढ़ी जाती है।

तरावीह के बाद क्या पढ़ना चाहिए?

तरावीह के बाद अपने मन के मुताबिक दुआए अजकार पढ़ना चाहिए।

तरावीह की दुआ कितनी बार पढ़ना है?

तरावीह की दुआ तरावीह की पुरी बीस रकात नमाज में सिर्फ 5 बार पढ़ना है हर चार रकात के बाद।

आख़िरी बात

आप ने यहां पर तरावीह की दुआ हिंदी जबान के साथ साथ इंग्लिश अरबी में भी जाना हमने यहां तीन मशहूर भाषाओं में इस लिए लिखा जिससे आप अपने मन पसन्द भाषा में तरावीह की दुआ पढ़ कर आसानी से समझ जाएं यकीनन आप ज़रूर समझ भी गए होंगे।

अगर अभी भी आपके मन में कोई सवाल या फिर वसवसे हो तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें हम आपके सवालात का जवाब ज़रूर पेश करेंगे क्योंकी मेरा मकसद शुरू से अभी तक यही रहा है कि हम सभी इल्म को कम समय में आसान तरीके से बताएं।

अगर आप इस पैग़ाम से कुछ इल्म हासिल की हो तो अपने इल्म को सदकाए जरिया की नियत से और ना मालुम लोगों को भी बताएं और अपने नामाए अमाल में नेकियों का इज़ाफा करें साथ ही अपने नेक दुआओं में हमें भी ज़रूर याद रखें हम आप के दुआ की तलबगार हैं शुक्रिया।

My name is Shah Noor and I'm the Editor and Writer of Learnaze. I'm a Sunni Muslim From Jannatabad, India. I've experience teaching and writing about Islam Since 2019. I'm writing and publishing Islamic content to please Allah SWT and seek His blessings.

Leave a Comment