आप इस पैग़ाम में बहुत ही ज़रूरी और अहम बात जानेंगे यानी की नमाज़ में क्या क्या पढ़ा जाता है, कितना बड़ा रब का करम व एहसान है कि हम मोमिनों की सुकून के लिए इतना बेहतरीन तोहफ़ा से नवाजा क्योंकी नमाज़ दुनियां के साथ और आखिरत का भी सुकून है।
हम सब को ज़रूर नमाज़ पढ़ना चाहिए जिससे हमारा रब खुश हो जाए और हमारा ज़िंदगी में चार चांद लग जाए इसीलिए हम यहां पर जानेंगे की आख़िर कार हम सब को नमाज़ में क्या क्या पढ़ना चाहिए जिसे हम आदाब के साथ साथ सवाब भी हासिल करें इसीलिए इसे ध्यान से पढ़ें।
Namaz Me Kya Kya Padha Jata Hai
- नियत बांधने के बाद सबसे पहले सना पढ़ा जाता है।
- फिर अउजुबिल्लाह मिनश शैतानीर्रजीम पढ़ा जाता है।
- इसके बाद बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ा जाता है।
- फिर अल्हम्दु शरीफ यानी सूरह फातिहा पढ़ा जाता है।
- सूरह फातिहा के बाद आहिस्ते से आमिन कहा जाता है।
- इसके बाद कुरान शरीफ कि सूरह पढ़ा जाता है।
- इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाते हैं।
- यहां पर रूकुअ में तीन बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ते हैं।
- फिर रूकुअ करने के बाद सिधे खड़े होते हैं।
- इसके बाद सज्दे में जाना होता है।
- यहां पर सज्दे में तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ा जाता है।
- इसी तरह दो सज्दे किया जाता है।
- यहां तक नमाज में एक रकअत मुकम्मल हो जाती है।
- इसी तरह 2 रकअत 3 रकअत या 4 रकअत पढ़ा जाता है।
- सज्दा से उठ कर बैठने के बाद अत्तहिय्यात पढ़ा जाता है।
- इसके बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ा जाता है।
- फिर दुआ ए मासुरह पढ़ा जाता है।
- इसके बाद सलाम फेरा जाता है।
नमाज़ में नियत करने के बाद क्या पढ़ते हैं?
सबसे पहले नियत करने के बाद सना ‘सुब्हान कला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व तआला जद्दुका वला इलाहा गैरूका को पढ़ना होता है।
इसके बाद अउजुबिल्लाह मिनश शैतानीर्रजीम और बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़कर अल्हम्दु शरीफ यानी सूरह फातिहा को पढ़ा जाता है।
सूरह फातिहा को मुकम्मल पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमिन कहना होता है फिर कुरान शरीफ कि कोई छोटी या बड़ी सूरह या आयत पढ़ सकते हैं, फिर रूकुअ में जाएं।
रूकुअ में क्या पढ़ा जाता है?
रूकुअ में कम अज कम तीन 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ना चाहिए, आप चाहें तो पांच 5 बार या फिर सात 7 मरतबा भी पढ़ सकते हैं।
इसके बाद रूकुअ से सिधे खड़े हो जाएं सिधे खड़े होते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें फिर सीधा खड़ा होने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
जब अच्छी तरह से खड़े हो जाएं इसके तुरंत बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं, हमने सज्दे करने का तरीका भी नीचे बताया है।
सज्दा में क्या पढ़ा जाता है?
आपको सज्दा में कम अज कम तीन 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ना चाहिए आप चाहें तो यहां पर भी पांच 5 बार या फिर सात 7 मरतबा भी पढ़ सकते हैं।
इसी तरह दो सज्दे किया जाता है आपको भी करना होगा और दुसरे सज्दे में भी कम से कम तीन 3 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ना चाहिए।
फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी रकअत के लिए खड़ा हो जाये और यहां पर सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़कर अल्हम्दु शरीफ यानी सूरह फातिहा पढ़ें।
हर रकअत में आपको सूरह फातिहा इसके बाद कोई सूरह पढ़ना चाहिए सिर्फ फर्ज नमाज कि तिसरी व चौथी रकअत में सूरह फातिहा के बाद कोई सूरह पढ़ना ज़रूरी नहीं।
सज्दा करने के बाद क्या पढ़ा जाता है?
जब भी सज्दे करने के बाद बैठे तो अत्तहिय्यात यानी तशह्हुद को पढ़ें जब अत्तहिय्यात में कलिमे ला पर पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ से शहादत उंगली खड़ा करें।
अगर आगे भी नमाज पढ़ना हो यानी तिसरी या चौथी रकअत पढ़ना हो तो यहां से अल्लाहु अकबर कहते हुए सिधे खड़े हो जाएं।
अगर आप कादए अखिरा यानी नमाज के आखिरी में सज्दा के बाद बैठते हैं तो अत्तहिय्यात के बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ा जाता है फिर दुआए मासुरह पढ़ा जाता है।
इसके बाद सलाम फेरा जाता है सबसे पहले अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए दाहिने कंधे की ओर गर्दन घुमाएं फिर बाएं कंधे की ओर, नमाज मुकम्मल हो गई।
FAQ
सलाम फेरने से पहले क्या पढ़ा जाता है?
सलाम फेरने से ठीक पहले दुआए मासूरह पढ़ा जाता है और इससे कब्ल दुरूदे इब्राहिम पढ़ा जाता है।
अत्तहियात के बाद क्या पढ़ा जाता है?
अत्तहियात के बाद दुरूदे इब्राहिम पढ़ा जाता है फिर इसके बाद दुआए मासूरह पढ़ा जाता है।
सलाम फेरने के बाद क्या पढ़ा जाता है?
सलाम फेरने के बाद आप अपने मुताबिक जिक्रो अज़कार कर सकते हैं
आख़िरी बात
आप ने यहां पर जाना कि नमाज़ में क्या और कब कौन सी दुआ या आयत पढ़ा जाता है, हम ने यहां पर बहुत ही आसान तरीके से साथ ही आसान लफ्ज़ों में बताया है यकीनन आप अच्छे से समझ भी गए होंगे अगर कुछ पूछना चाहते हैं तो हमसे कॉमेंट बॉक्स के जरिए अपना सवाल पूछ सकते हैं।
अगर आप को भी इस पैग़ाम से कुछ भी सीखने को मिला हो तो जिन्हें इल्म ना हो उन्हें ज़रूर बताएं जिसे वो भी नमाज़ अच्छे से अदा करें और हम सभी लोग सिरात अल मुस्तकीम पर चल कर अपने रब को राज़ी करें साथ ही हम सब को कुछ न कुछ दुआ व सवाब हासिल हो जाए।
हम सब को हर रोज नमाज़ पढ़ना चाहिए और वो भी दुरूस्त तरीके से और अपने अहलो आयाल के लिए दुआ करना चाहिए बेशक हमारा रब मांगने वालों से राज़ी होता है, आप भी हर रोज़ नमाज़ पढ़ें और अपने नेक दुआओं में अपने अहलो आयाल के साथ हमें भी याद रखें। शुक्रिया!
Mujhe urdu padhna nahi aata hai aur main kabhi bhi deen ke rashte pe nahi chala hu par ab mujhe Ehsaas hua ki main galat kar raha tha ab main namaz kitab sab karna hain mujhe main hindi padh leta hu aap meri koi madad kar sakte ho
9354811706
Aap Regular Is Site Par Tashrif Late Rahein InshaAllah Ek Din Aap Mukammal Sikh Jaenge.
1. Durood E Ebrahim ki jagah Durood E Taj padne se kya namaz ho jaygi
2. Kya kisi ko dua E maasura yaad nahi ho to kya namaz ho jaygi. kyunki ham ne ab tak attahiyad ke bad Durood E Taj pad kar salam fera h
Namaz Ho Jaegi But Durust Hota Hai Durood E Ibrahim Hi, Dua e Masura Yaad N Ho To Rabbana Aatina Padhein.
Hindi Main kitab aati hai Hindi main quran Sharif bhi hai aap khrid lo aur pdhna shuru kro allha aasan farmaye
Mai namaz shikhna chahta hoon mujhe Urdu nahi aata hai aap mujhe Hindi me namaz padhne shikha dejye
c.no.9204519992
Ji Jarur,
Aap Is Post Ko 2 se 3 Dafaa Gaur Se Padhein Namaz Padhne Ka Sahi Traika
InshaAllah Aap Mukammal Namaz Aasani Se Sikh Jayenge.
Mne Urdu nhi padha h Parr mujhe Dil se namaj pdhni h Sahi tarike se
Jo ki mujhe nhi aata kya aap mujhe shikha dijiye
Ji Jarur,
Aap Is Post Ko 2 se 3 Dafaa Gaur Se Padhein Namaz Padhne Ka Sahi Traika
InshaAllah Aap Mukammal Namaz Aasani Se Sikh Jayenge.
Namaz me sureh fateha ke baad kuran sarif ki koi bhi surat padhnese pahele bismillah padh na he ya nahi
Ji Jarur Padhein.
Mai thoda bahut janta tha but ab aapke is post se alhamdulillah bahut kuchh sikh liye allah aapki lambi umra ata-farmaye taki aap hamare jaise or bhaiyo ko namaj ki tarika bataye !
Hamare abbu ka intkal ho gaya hai aaplog unki magfirat me duaa kare!
Ji Shukriya. Allah T’Aala Unhein Janattul Firdaus Mein Ala Makam Ata Kare. Aamin