आज आप यहां पर एक बहुत ही बा बरकत व रहमत भरी सूरह की आयत यानी कि सूरह बकरा की आखिरी 2 आयत हिंदी में पढ़ेंगे हमने यहां पर सूरह बकरा की आखिरी के दो आयत हिंदी, अरबी और इंग्लिश के साफ़ लफ्ज़ों में लिखा है।
जिसे आप बहुत ही आसानी से पढ़ सकेंगे इसके बाद फिर आप को कहीं पर भी सूरह बकरा की आखिरी 2 आयतें नहीं खोजनी पड़ेगी इसीलिए आप यहां पर सही लफ्ज़ के साथ अहियात के साथ मुकम्मल ध्यान से पढ़ें।
एक जरूरी बात कुरान पाक पढ़ने से पहले या फिर इसकी कोई सूरह आयत पढ़ने से कब्ल अउजुबिल्लाह मिनश शैतानिर्रजिम और बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ा करें इसीलिए यहां भी जरूर पढ़ें।
Surah Baqarah Last 2 Ayat In Hindi
आमनर् रसूलु बिमा उन्जिला इलैहि मिर रब्बिहि वल मुमिनून कुल्लु आमन बिल्लाहि व मला इकतिही व कुतूबिही व रसूलिह ला नुफर्रीकु बयना अहदिम मिर रसूलिह व कालु समीना व अत ना ग़ुफरानका रब्बना व इलैकल मसिर।
ला युकल्लिफुल लाहू नफ्सन इल्ला वुसअहा लहा मा कसब्त व अलैहा मक तसब्त रब्बना ला तु'वाखिजना इन्न नसिना अव अखतअना रब्बना व ला तहमिल अलयना इसरन कमा हमलतहू अल्ललजि न मिन कबलिना रब्बना वला तुहम्मिलना मा ला ता कता लना बिही वहफू अन्ना वग़फिर लना व रहमना अन्त मवलाना फंसूरना अलल कवमिल काफिरीन।
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Surah Baqarah Last 2 Ayat In Arabic
ءَامَنَ ٱلرَّسُولُ بِمَآ أُنزِلَ إِلَيْهِ مِن رَّبِّهِۦ وَٱلْمُؤْمِنُونَ ۚ كُلٌّ ءَامَنَ بِٱللَّهِ وَمَلَـٰٓئِكَتِهِۦ وَكُتُبِهِۦ وَرُسُلِهِۦ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍۢ مِّن رُّسُلِهِۦ ۚ وَقَالُوا۟ سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا ۖ غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ ٱلْمَصِيرُ
لَا يُكَلِّفُ ٱللَّهُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا ۚ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا ٱكْتَسَبَتْ ۗ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَآ إِن نَّسِينَآ أَوْ أَخْطَأْنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَآ إِصْرًۭا كَمَا حَمَلْتَهُۥ عَلَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهِۦ ۖ وَٱعْفُ عَنَّا وَٱغْفِرْ لَنَا وَٱرْحَمْنَآ ۚ أَنتَ مَوْلَىٰنَا فَٱنصُرْنَا عَلَى ٱلْقَوْمِ ٱلْكَـٰفِرِينَ
Surah Baqarah Last 2 Ayat In English
Aamanar Rasoolu Bimaaa Unzilaa ilaihi Mir Rabbihee Walmu'minoon Kullun Aamana Billahi Wa Malaa'ikatihee Wa Qutoobihee Wa Rasuleeh La Nufrrikoo Bayna Ahadim Mir Rasuleeh Wa Qaloo Samee'ana Wa Atna Ghufranka Rabbna Wa ilaikal Maseer.
La Yukalliful Laahoo Nafsan illa Wus'ahaaa Lahaa Ma Kasbat wa Alaika Mak Tasbat Rabbna La Tu'wakhijnaa inna naseena Aw Akhta'anaa Rabbnaa Wa Laa Tahmil Alayna isran Kamaa Hamlatahoo Alallazee na Mun Qablina Rabbna Wala Tuhammilna Ma Laaa Ta'qataa Lanaa Bihee Wahfu Anna Waghfir Lanaa Wa Rahmanaa Anta Mawlana Fansurna Alal Qawmil Qafireen.
Surah Baqarah Last 2 Ayat Ka Tarjuma
रसूल उस पर ईमान रखता है जो उसपर उसके रब की ओर से नाजिल हुई है ईमानवाले भी ऐसा ही करते हैं वो सब अल्लाह, उसके फरिश्ते उसकी किताबों और उसके रसूलों पर ईमान रखते हैं।
वे कहते हैं हम उसके किसी भी दूत के बीच कोई अंतर नहीं करते हैं और वे कहते हैं हम सुनते हैं और मानते हैं हम आपसे क्षमा चाहते हैं हमारे ईश्वर और आपके लिए और आपके लिए सभी यात्राओं का अंत है।
अल्लाह किसी पर भी उसकी सामर्थ्य से अधिक बोझ नहीं रखता वह जो कुछ भी कमाता है उसे मिलता है हर वो नुक्सां को झेलता है जो वह कमाता है ईमानवाले प्रार्थना करते हैं हमारे प्रभु अगर हमसे भुल हो जाए या गलती करें तो हमें सजा न दे।
ऐ अल्लाह हम पर वैसा बोझ मत डाल जैसा तुमने हमसे पहले वालों पर डाला था ऐ अल्लाह हम पर उतना बोझ न डाल जिसे हम सहन नहीं कर सकते हमारे गुनाहों को बख्श दे हमे क्षमा कर हम पर दया करो तू हमारा रक्षक है तू हमें कुफ्र करने वालो के मुकाबले फतह दे।
सूरह बकरा की आखिरी आयत की फजीलत
सूरह अल बकरा की आखिरी आयत की फजीलत निम्नलिखित है:-
- इन दो आयतों को रात में पढ़ने से बुराई से निजात मिलती है।
- सूरह बकरा की आखिरी 2 आयत पढ़ने से शैतान दूर होते हैं।
- ये आयतें पढ़ने से ये हमें जिन्न व शैतान से महफूज रखती है।
- ये दो आयतें पढ़ने हमारी इच्छा शक्ति बेहद मजबूत करती है।
- ये दो आयतें हम पर सहने से अधिक मुश्किलें नहीं आने देती।
- ये दो आयतें हमारे लिए एक तरह से दुआ का भी काम करती है।
- सूरह बकरा की आखिरी 2 आयत पढ़ने से गुनाह माफ होते हैं।
- इन दो आयतों को पढ़ने से हमारा रब हम पर मेहरबान रहता है।
- इन दो आयतों को पढ़ने से सही कामों में अचीवमेंट भी होती है।
- ये दो आयतें भी बयां करती है कि हम सब का रब केवल एक है।
आख़िरी बात
आप ने इस पैग़ाम में एक बहुत ही बा बरकत भरी सूरह अल बकरा की आखिर के दो आयतें तीन मशहूर जबान में आसानी से पढ़ी और साथ इसकी तर्जुमा भी आपने समाअत किया वैसे तो हमने यहां पर अपने जानिब से हर लफ़्ज़ को मखरज के साथ संभाल कर लिखा था।
लेकिन आप भी जानते ही होंगे कि हिंदी में अरबी का अल्फाज़ सही मायने और सही तरीक़े से निकल नहीं पाता है इसीलिए अक्सर मशवरा दिया जाता है कुरान पाक को अरबी में ही पढ़ने की लेकिन अगर आप की कोशिश रही होगी तो यहां भी आप सही से पढ़ ही लिए होंगे।
अगर अभी भी आपको सूरह अल बकरा के आखिरी के दो आयतों से जुड़ी कोई सवाल या डाउट हो तो आप हमसे कॉमेंट करके ज़रूर पूछें। ऐ अल्लाह हमें यहां लिखने या पढ़ने में एक लफ्ज एक हर्फ या फिर एक नुक्ते का भी गलती हुई हो तो अपने रहमो करम से माफ़ फरमा।
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