आज हम और आप जानेंगे कि तहज्जुद की नमाज़ का तरीका क्या होता है, हम सभी का रब हम लोगों को अनगिनत तरीके के तोहफा से नवाजा है, हम सभी को तहज्जुद की नमाज़ जरूर पढ़ना चाहिए क्योंकि इस नमाज को अदा करने से हमारा रब अल्लाह तआला खुश होता है।
हम सब लोग परेशानी में तो अपने रब को याद करते ही हैं लेकिन हम सभी को चाहिए कि परेशानी दूर करने से लेकर खुशी मिलने तक अपने रब को पुकारे और खुशी मिलने के बाद अपने रब का शुक्रिया अदा करें, हम सभी अपने रब को नमाज और नेक कामों के जरिए खुश करते हैं।
ऐसे में हम सभी को अपने रब को खुश करने के तरीके को जरूर जानना चाहिए, आज हम इसमें जानेंगे कि तहज्जुद की नमाज़ दुरुस्त तरीके से कैसे मुकम्मल किया जाता है और इसे पढ़ने के लिए कौन सा वक्त मुकर्रर किया गया है तथा इसकी नियत क्या होती है, इन सभी बातों को इस पैगाम के जरिए जानेंगे।
Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika
सबसे पहले आपको बता दें कि तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने का तरीका कोई भी अलग नहीं है, इसे बाकी नफ्ल नमाज़ों की तरह ही अदा किया जाता है, अगर आप नमाज़ अदा करना जानते हैं तो बहुत ही अच्छी बात है नहीं तो तहज्जुद की नमाज़ इस तरह से अदा करना चाहिए।
Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika – पहली रकात
- सबसे पहले नियत करके हांथ बांधे।
- इसके बाद सना और अल्हम्दु शरीफ पढ़े।
- फिर इसके बाद कोई भी सुरह को पढ़े।
- इसके बाद रुकुअ और सज्दा करें।
- इसी तरह दुसरी रकअत मुक्कमल करें।
- इसके बाद अतहियात यानि तश्ह्हुद पढ़े।
- इसके बाद दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं।
- फिर दुरूद शरीफ़ और दुआए मासुरह को पढ़े।
- इसके बाद सलाम फेर लें, यहां दो रकअत मुकम्मल हो गई।
यहां पर आपको सब उसी तरह पढ़ना और करना है जिस तरह बाकी नमाजो की पढ़ने का तरीका होता है आप उसी तरह तहज्जुद की नमाज अदा करें लेकिन आप नियत तहज्जुद की करें।
फिर इसी प्रकार दो रकात के लिए नियत बांधे और ऐसे करके आप चाहे तो छः रकात, आठ रकात या बारह रकात नमाज अदा कर सकते हैं, हर दो रकात के बाद सलाम फेर लें इसके बाद अगली नमाज़ अदा करने के लिए नियत करें।
अगर आप चाहे तो बारह रकात तरतीब के साथ अदा कर सकते हैं, इस बारह रकअत को आप चाहें तो तीन या छः सलाम के साथ पढ़ सकते हैं यानि दो दो रकात करके बारह रकात पढें या चार चार रकात करके पढ़ सकते हैं।
हर रकअत में अल्हमदु शरीफ पढ़ने के बाद सूरह इखलास इस तरह से पढ़े कि पहली रकात में सूरह इखलास में बारह मर्तबा, दुसरी रकात में सूरह इखलास ग्यारह मरतबा पढ़े।
इसी तरह से तीसरी रकात में सूरह इखलास दस मर्तबा पढ़े फिर चौथी रकात में सूरह इखलास को नौ मरतबा पढ़े, इसी तरह हर एक रकात के बाद एक बार कम पढ़े।
यह तहज्जुद की नमाज अदा करने का दुरुस्त तरीका है आपको चाहिए कि तहज्जुद की नमाज़ इसी तरह से अदा करें क्योंकि इस तरतीब से तहज्जुद की नमाज अदा करने में बहुत सवाब है।
आपकी इल्म के लिए यह बात बता दें कि तहज्जुद की नमाज़ कम से कम दो रकअत और ज्यादा से ज्यादा हुजूरे अकरम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम से आठ रकअत तक साबित है।
औरतों के लिए तहज्जुद की नमाज़ का तरीका
तहज्जुद की नमाज़ का तरीका औरतों के लिए भी उसी तरह से है जिस तरह हमने आपको उपर में बताया है, लेकिन यहां पर औरतों की नमाज को अदा करने के जो भी तरीके हैं उसी तरह से तहज्जुद की नमाज भी अदा करना चाहिए।
हमारी मां बहनों को भी दो दो रकात करके इस नमाज को मुकम्मल करना चाहिए या फिर आप चाहे तो इस नमाज को बारह रकात के लिए तीन सलाम में पढ़ सकते हैं जैसे हमने उपर में बताया है।
आपको सिर्फ यहां पर यह ध्यान रखना है कि नियत तहज्जुद की नमाज़ का करें फिर अपने तरीके से जिस तरह नमाज अदा करते हैं इस नमाज को भी उसी तरह पढ़े, तहज्जुद की नमाज़ अदा करने का तरीका में औरत और मर्द के लिए कोई अलग अलग तरीका नहीं है।
तहज्जुद की नमाज़ की नियत
जैसे हमने आपको उपर में बताया है कि तहज्जुद की नमाज़ नफ्ल नमाज़ है लेकीन यह नमाज़ और भी नफ्ल नमाज़ से बेहतर है इसकी नियत कुछ इस तरह से करें।
तहज्जुद की नमाज़ की नियत हिन्दी में:- नीयत की मैने दो रकअत नमाज़ तहज्जुद कि नफ्ल की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।
तहज्जुद की नमाज़ की अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावतिल तहज्जुद नफ्ली मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।
ध्यान दें:- अगर चार रकात की नियत कर रहे हैं तो
‘नीयत की मैने चार रकात’ बोलें इसका ख्याल रखें।
तहज्जुद कि नमाज़ का टाइम
आपको यह बात ज़रूर मालुम होगा कि तहज्जुद की नमाज़ रात के तीसरी हिस्से में अदा करना बेहतर माना गया है, हमें और आपको चाहिए कि इस इबादत को रात में सो कर उठने के बाद करें।
हमें और आपको यह बात मालूम हुआ है कि यह नमाज एक नफ्ल नमाज़ है, लेकीन आपको यह जरूर मालूम होगा कि इस नमाज को हम और नफ्ल नमाज की तरह जब चाहें तब नहीं पढ़ सकते हैं तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने का सबसे दुरुस्त वक्त आधी रात के बाद मानी जाती है।
लेकिन तहज्जुद की नमाज़ अदा करने का सबसे दुरुस्त वक्त यह है कि आप रात को सो कर उठने के बाद नमाज ए फजर से एक आधे घण्टे पहले तहज्जुद की नमाज़ मुकम्मल करें जितना हो सके अच्छे से अदा करें और ज्यादा वक्त गुजारें।
तहज्जुद की नमाज़ के फ़ायदे
- तहज्जुद अदा करने से दुआ की कुबूलियत होती है।
- तहज्जुद नमाज़ पढ़ने से अल्लाह पाक के करीब होते हैं।
- तहज्जुद की नमाज अदा करने से जहन्नम से निजात मिलती है।
- तहज्जुद को पढ़ने वाले लोग जन्नत में सलामती से दाखिल होंगे।
- तहज्जुद की नमाज पढ़ने से शरीर की सभी बीमारियां दूर होती है
- तहज्जुद की नमाज पढ़ने से कब्र की आज़ाब से निजात मिलती है।
- तहज्जुद नमाज़ पढ़ने से आंतरिक मजबूती और मानसिक शांति मिलती है।
हम सभी का रब अल्लाह तबारक व तआला कहता है कि है कोई मांगने वाला उसे मैं अता करूं, कोई मगफिरत चाहता है उसे मैं बख्शीश दूं।
तहज्जुद की नमाज़ सुन्नत है या नफ्ल
आपको यह बता दें कि तहज्जुद की नमाज़ नफ्ल नमाज है लेकीन इसका दर्जा और नफ्ल नमाज़ों से ऊंचा है साथ ही साथ इस नमाज़ को हम लोग जब चाहे तब नहीं बल्कि रात के आखिरी हिस्से में पढ़ सकते हैं।
हम सभी लोग यह जानते हैं कि नफ्ल की नमाज छोड़ने में कोई हर्ज नहीं है बल्कि नफ्ल नमाज़ पढ़ने से हमें अधिक सवाब मिलता है हम सभी का रब हम लोग से खुश होते हैं, इस नमाज को हम लोग अपने अल्लाह को खुश करने के लिए और अपनी इच्छा पूरी कराने के लिए पढ़ते हैं।
तहज्जुद का अर्थ
तहज्जुद का मतलब कियाम उल लैल और रात की इबादत होता है, यह नमाज़ यानी तहज्जुद की नमाज बाकी पांच वक्त की नमाज़ की तरह ज़रूरी नहीं है बल्कि यह एक ऐच्छिक नमाज़ है, इस तहज्जुद की नमाज को पढ़ने से अल्लाह हम सभी की दुआएं कुबूल करता है, जो भी तहज्जुद की नमाज़ पढ़ता है अल्लाह उसके सभी नेक तमन्नाओं को पूरा करता है इसीलिए इसे रात की इबादत कहा जाता है।
तहज्जुद की नमाज़ के लिए कुछ ज़रूरी बातें
सबसे पहले नेक इरादा करके रात में सोए और तहज्जुद की नमाज अदा करने के लिए ठीक समय पर उठे, अगर आप नेक इरादा से उठते हैं तो अल्लाह आपको जरूर इच्छा पूरा करेगा क्योंकि हमारा रब हमारी नियतों से वाकिफ है।
इसके बाद दुरुस्त और मुकम्मल तरीके से वजू करें, वजू करने के लिए सभी जरूरी बातों पर ध्यान रखते हुए वजू करें क्योंकि दुरूस्त तरीके से वजू करने से दुआ जल्द कबूल होने की उम्मीद रहती है।
इसके बाद एक साफ-सुथरा और पाक जगह पर जानमाज बिछा कर तहज्जुद की नमाज़ अदा करें, यह जरूरी नहीं है कि आप तहज्जुद की नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिद या कोई खास जगह जाएं।
इसके बाद आपको दुनियावी खयालों से बाज़ आ जाना है, और दिल में अल्लाह की खौफ और ख्याल रखते हुए सिर्फ और सिर्फ अपने रब पर पूरा ध्यान केंद्रित करें इसके बाद तहज्जुद की नमाज़ शुरू करें।
अब आप नमाज पढ़ना शुरू करें और नमाज को दुरुस्त तरीके से मुकम्मल करें सभी बातें मैंने नमाज पढ़ने का तरीका से जुड़े उपर में बताया है उस पर जरूर से जरूर अमल करें फिर दुआ करें।
FAQ
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तहज्जुद की नमाज के लिए सबसे अच्छा वक्त क्या है?
हमें चाहिए कि तहज्जुद की नमाज़ को रात के आखरी हिस्से में यानी फज्र से कुछ घंटे पहले मुकम्मल करें।
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तहज्जुद की नमाज कितनी रकात पढ़नी चाहिए?
तहज्जुद की नमाज़ कम से कम दो रकात ज्यादा से ज्यादा आठ रकात या बारह रकात पढ़ना चाहिए।
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तहज्जुद की नमाज में कौन सी सुरह पढ़ना चाहिए?
आपको बता दें कि कोई भी सुरह आप पढ़ सकते हैं लेकिन सुरह इखलास यानी कुल हु वल्लाहु शरीफ पढ़ना दुरूस्त माना जाता है।
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तहज्जुद की नमाज़ का मतलब क्या होता है?
तहज्जुद की नमाज का मतलब यह होता है कि खुदा का नेक बंदा रात में इबादत करके अपने रब से दुआ करता है इसे रात की इबादत कहते हैं।
आखिरी बात
हमने इस पैगाम के जरिए आप तक तहज्जुद की नमाज़ का तरीका मुकम्मल पहुंचाया है, हमने यहां पर तहज्जुद की नमाज की अजमत रहमत और फजीलत की सभी बातें जानी, आप जरूर कोशिश करें कि तहज्जुद की नमाज़ दुरूस्त तरीके से मुकम्मल करें, हमें उम्मीद है कि यह लेख आप को दुरुस्त और मुकम्मल तरीके से तहज्जुद की नमाज अदा करने में जरूर मदद करेगा।
यहां पर हमने आपको सभी जानकारी को शुद्ध सरल एवं साधारण भाषा में व्यक्त किया है जिसका मकसद यह है कि पढ़ने वाले को सभी बात आसानी से समझ में आ जाए अगर आपके अंदर किसी भी प्रकार का कोई सवालात आ रही है तो आप उसका जवाब हमसे जान सकते हैं।
Tahajjud ki namaz me har 2 rakat k bad Dua mangni he ya puri 12 rakat mukammal krne ke bad Dua mangni he?? please mere is confusen ko dur kijiye
Jab Aap Namaz Mukammal Padh Lein Agar 2 Rakat Padhni Ho To Do Ke Baad Ya 4 Rakat Padhni Ho To 4 Ke Baad Sirf Aakhir Me