Eid Ul Adha Ki Namaz Ka Tarika – ईद उल अज़्हा कि नमाज़ का तरीका

आज के इस पैगाम के जरिए आप जानेंगे कि ईद उल अज़्हा कि नमाज़ अदा करने का सही और दुरूस्त तरीका क्या होता है, हम सभी के बीच हर इस्लामी साल के आखिरी माह में ईदुल अज़्हा अपनी रहमत व बरकत लेकर आता है इस दिन की सबसे पहली और अफज़ल इबादत नमाज़ है।

हम सभी को ईद उल अज़्हा की नमाज़ अदा करने का दुरूस्त व सही तरीका जरूर मालुम होना चाहिए, अगर हमे और आपको यही नहीं मालुम होगा तो हम नमाज़ का पूरा सवाब हासिल नहीं कर पाएंगे आपने कई बार देखा भी होगा की कुछ लोगों तकबीर की ख्यालात नहीं मालुम हो तो तकबीर कहने पर कभी रूकुअ कर लेते हैं।

जिसका वजह यह है कि उन्हे ईद उल अज़्हा की नमाज़ अदा करने का तरीका खयाल नही होता है, तो हमने इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इस पैग़ाम को तैयार किया की जिन्हे कुछ जानकारी मालुम हो उन्हे इल्म पूरा हो जाए और जिन्हे मालुम न हो उन्हे पूरा तरीका मालुम हो जाए, ईद उल अज़्हा की नमाज़ अदा करने का सही तरीका जानने के लिए इस पैग़ाम को शूरू से आख़िर तक ध्यान से पढ़ें।

Eid Ul Adha Ki Namaz Ka Tarika

आपको शायद मालूम होगा कि ईद उल अजहा की नमाज में दो रकअत की वाजिब नमाज अदा की जाती है, ईद उल अज़्हा की नमाज पढ़ने का मुकम्मल तरीका हमने नीचे बताया है:-

पहली रकअत

  1. सबसे पहले आप ईद उल अज़्हा की नियत करें।
  2. इसके बाद अल्लाहु अकबर कह कर नियत बांध लें।
  3. फिर सना यानी सुब्हान कल्ला हुम्मा व बि हम् दिक‌ पुरा पढ़े।
  4. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए कानों तक दोनों हांथ उठाएं।
  5. इसके बाद दोनों हाथों को बांधने के बजाय नीचे लाकर छोड़ दें।
  6. फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए कानों तक दोनों हांथ उठाएं।
  7. फिर से यहां पर हाथों को बांधने के बजाय नीचे लाकर छोड़ दें।
  8. फिर तिसरी बार अल्लाहु अकबर कहते हुए अपना हाथ उठाएं।
  9. लेकिन इस बार अपने दोनों हाथों को नियत की तरह बांध लें।
  10. इसके बाद इमाम अउजुबिल्लाहि और बिस्मिल्लाह धीरे पढ़ेंगे।
  11. फिर बुलन्द आवाज में अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़ेंगे।
  12. इसके बाद कोई सुरह इमाम साहब बुलन्द आवाज में ही पढ़ेंगे।
  13. आपको अल्हम्दु शरीफ और सुरह पढ़ते वक्त चुपचाप रहना है।
  14. इसके बाद इमाम साहब अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएंगे आप भी उनके साथ रूकुअ करें।
  15. आप रूकुअ में कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ेंगे।
  16. इसके बाद इमाम साहब समी अल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकुअ से सर उठाएंगे और आप उठते हुए रब्बना लकल हम्द कहेंगे।
  17. फिर इमाम साहब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा में जाएंगे यहां पर आप कम से कम तीन दफा सुब्हान रब्बिल अअला पढ़ें‌।
  18. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से सर उठाएं और फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरी सज्दा करें यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  19. यहां तक आपकी ईदुल अजहा की दो रकअत नमाज़ में से पहली रकअत मुकम्मल हो जाएगी अब इमाम साहब के अल्लाहु अकबर कहने पर दुसरी रकअत के लिए खड़े हो जाएं।

दुसरी रकअत

  1. यहां पर शुरू में इमाम बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ेंगे।
  2. फिर बुलन्द आवाज में अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़ेंगे।
  3. इसके बाद कोई सुरह इमाम साहब बुलन्द आवाज में ही पढ़ेंगे।
  4. यहां पर भी आपको अल्हम्दु शरीफ और सुरह सिर्फ सुनना है।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए कानों तक दोनों हांथ उठाएं।
  6. इसके बाद दोनों हाथों को बांधने के बजाय नीचे लाकर छोड़ दें।
  7. फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए कानों तक दोनों हांथ उठाएं।
  8. फिर से यहां पर हाथों को बांधने के बजाय नीचे लाकर छोड़ दें।
  9. फिर तिसरी बार अल्लाहु अकबर कहते हुए अपना हाथ उठाएं।
  10. फिर से यहां पर हाथों को बांधने के बजाय नीचे लाकर छोड़ दें।
  11. अब चौथी बार अल्लाहु अकबर कहने पर इस बार बगैर हाथ उठाए रूकुअ करें और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ें।
  12. इसके बाद इमाम साहब समी अल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकुअ से सर उठाएंगे और आप उठते हुए रब्बना लकल हम्द कहेंगे।
  13. फिर इमाम साहब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा में जाएंगे यहां पर आप कम से कम तीन दफा सुब्हान रब्बिल अअला पढ़ें‌।
  14. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से सर उठाएं और फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरी सज्दा करें यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  15. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहने पर खड़े होने के बजाय बैठ जाएं और अतहियात शरीफ पढ़ें।
  16. अतहियात पढ़ते हुए जब कलिमे ला पर पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ से शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दें।
  17. इसके बाद दुरूद ए इब्राहिम पढ़ें फिर दुआए मासुरह पढ़ें और इमाम साहब के साथ अल्लाहु अकबर कहने पर सलाम फेर लें।
  18. यहां तक आपकी दो रकअत ईद उल अजहा की नमाज अदा हो गई, इस के बाद आप जरूर कम से कम तीन बार तस्बीह पढ़ें।

ईद उल अज़्हा कि नमाज़ की नियत

ईद उल अज़्हा कि हिन्दी नियत:- नीयत कि मैने दो रकअत नमाज़ ईदुल अजहा की वाजिब जा़इद छः तकबीरों के वास्ते अल्लाह तआला के पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।

ईद उल अज़्हा कि अरबी नियत:- नवैतुअन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलाति ईदुल अजहा मा अ सित़् ती तकबिरात जाएदती वाजिबल्लाहे तआला इक त दयतु बिहाजल इमाम मुतवाजि़हन इल्ला जिहातिल काअबतिश शरीफती अल्लाहू अकबर।

ईद उल अज़्हा कि तकबीर

आप ईद उल अज़्हा के दिन ज्यादा से ज्यादा इस तकबीर को पढ़े इसकी रहमत व बरकत बहुत है जिसे तकबीरे तशरीक कहते हैं:-

अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर व लिल्लाहिलहम्दु।

  • इस तकबीर को आप नवीं जिलहिज्जा से तेरहवीं जिलहिज्जा के असर तक पढ़ें।
  • इस तकबीर को ईद उल अज़्हा कि नमाज़ अदा करने के बाद तीन बार ज़रूर पढ़े।
  • इस तकबीर को ईदगाह आते जाते वक्त ज्यादा से ज्यादा मात्रा में धीरे से पढ़ते चलें।
  • इस तकबीर को नवीं जिलहिज्जा से लेकर तेरहवीं जिलहिज्जा के बीच पढ़ी जाने वाली सभी नमाज़ के बाद जरूर पढ़ें।

ईद उल अज़्हा की नमाज़ का समय

ईद उल अजहा की नमाज का वक्त सूर्योदय मतलब आफताब बुलंद होने के 20 बीस मिनट बाद से शुरू हो कर जवाल यानि सूरज के निस्फुनहार मतलब सूरज ढलने से पहले तक रहता है।

अगर इस दौरान ईद उल अजहा की नमाज अदा कर पाए तो अगले दिन भी इसी समय ईद उल अजहा की नमाज कायम करने की कोशिश करें क्योंकि इस वक्त के बाद ईद उल अजहा की नमाज अदा करना जायज नहीं।

ईद उल अज़्हा कि नमाज़ कितनी रकात होती है?

ईद उल अज़्हा कि नमाज़ 2 दो रकअत की होती है, जिसे एक सलाम में मुकम्मल किया जाता है, ईद उल अज़्हा कि नमाज़ में छः जायद तकबीर होती है पहली रकअत में अल्हम्दु शरीफ और सुरह पढ़ने से पहले तीन तकबीर होती है जबकि दुसरी रकअत में तीन तकबीर अल्हम्दु शरीफ और सुरह पढ़ने के बाद होती है।

ईद उल अजहा की नमाज औरतों के लिए

सबसे पहले अपने मां बहनों को बताना चाहूंगा कि ईदुल अजहा की नमाज हमारी मां बहनों के लिए नहीं है, बल्कि इस दिन वो अपने घरों में रहकर चाश्त की नमाज़ या नफ्ल नमाज़ अदा करें लेकिन इतना ध्यान रखें कि जब तक अपने ईदगाह से पुरूष का मजमा आ न जाए इसे पहले नमाज़ अदा न करें अपने घरों के मर्दों को ईदगाह से आने के बाद ही आप चाश्त की नमाज़ या नफ्ल नमाज़ अदा करें।

ईद उल अज़्हा कि फजिलत

ईद उल अज़्हा कि फजिलत व रहमत बेशुमार है जिसमें हमने यहां पर कुछ फजिलतें बयां की है:-

  • ईद उल अजहा में सबसे अफजल और आला दर्जे की सवाब कुर्बानी करने में हासिल होता है।
  • ईद उल अजहा की नमाज पढ़ने से दिल इस तरह से पाक होता है कि वह कभी मरता नहीं है।
  • ईद उल अजहा के दिन सदका और खैरात करने से‌ खैरात करने वाले की माल व दौलत में इजाफा होता है।
  • ईद उल अजहा की खुशी जाहिर करने से मतलब एक दूसरे से मोहब्बत करने से बहुत बड़ा सवाब हासिल होता है।

ईद उल अजहा की नमाज से जुड़ी कुछ जरूरी बातें

  • ईद उल अजहा की नमाज वैसे लोगों पर फर्ज़ नहीं जो चलने के काबिल न हो।
  • आकिल यानी अकलमंद पर मतलब पागल पर नहीं ईद उल अजहा की नमाज फर्ज है।
  • ईद उल अजहा की नमाज अंख्यारा मतलब जो किसी भी चीज को आसानी से देख सके उसी पर फर्ज़ है।
  • ईद उल अजहा की नमाज किसी उज्र के वजह से‌ दुसरी दिन मतलब ग्यारह जिलहिज्जा को भी अदा की जा सकती है।
  • ईद उल अजहा की नमाज बारहवीं तारीख को भी यानी तीसरे दिन भी बिला कराहत नमाज़ अदा की जा सकती है।

FAQ

ईद उल अजहा की नमाज कितने बजे होती है?

ईद उल अजहा की नमाज सूर्योदय के यानी आफताब बुलंद होने के 20 मिनट बाद से शुरू हो कर जवाल के पहले तक रहता है।

ईद उल अजहा की नमाज फर्ज है या वाजिब?

ईद उल अजहा की नमाज एक वाजिब नमाज है बिना वजह के ईद उल अजहा की नमाज छोड़ना सख्त गुनाह है।

ईद उल अजहा की नमाज छूट जाए तो क्या करें?

अगर ईद उल अजहा की नमाज किसी कारणवश छूट जाए तो अपने घर पर चाश्त की चार रकअत नमाज अदा करें।

आख़िरी बात

हमने इस पैगाम के माध्यम से आपको ईद उल अज़्हा कि नमाज़ अदा करने का सही तरीका बहुत ही आसान लफ्ज़ों में बताया है हमें यकीन है कि यह आर्टिकल आपके लिए काफ़ी लाभदायक और सहायक रहा होगा, इसे पढ़ने के बाद आप आसानी से ईद उल अज़्हा कि नमाज़ अदा कर सकेंगे।

हमारा मकसद अव्वल से इस समय तक यही रहा है कि सभी बातों को आसान लफ्जों में बयां की जाए जिसे पढ़ने पर सभी जानकारी आसानी से समझा जा सके अगर इसके बाद भी आप को किसी भी तरह की कोई बात पर डाउट हो तो आप हमसे कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से अपना कन्फ्यूजन दूर कर सकते हैं।

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My name is Shah Noor and I'm the Editor and Writer of Learnaze. I'm a Sunni Muslim From Jannatabad, India. I've experience teaching and writing about Islam Since 2019. I'm writing and publishing Islamic content to please Allah SWT and seek His blessings.

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