आज के इस आर्टिकल में आप नमाज़ पढ़ने का सही तरीका को दुरूस्त और मुकम्मल जानेंगे हम सभी यानी मज़हब ए इस्लाम के सब मोमिन को मालुम होना चाहिए कि हमारा इस खुबसूरत मज़हब में नमाज़ की कितनी अहमियत है नमाज़ हर खराब और बे हयायी कामों से रोकती है।
हमें और आपको तथा इस जहां में फैली सभी मोमिन को जरूर नमाज़ अदा करनी चाहिए कि नमाज़ अदा करने से हम सभी का रब अल्लाह तबारक व तआला अपने नेक बन्दों से खुश होता है और दुनिया व आखिरत में अपने नेक बन्दों का रास्ता आसान फरमाता है।
यहां पर आप नमाज अदा करने का तरीका एक एक करके एक के बाद एक तस्वीर के साथ समझेंगे कुछ लोग नमाज अदा कर ते है तथा कुछ लोग नहीं सब पहले सिखने समझने के बाद ही अदा करते हैं, इस पैगाम में भी नमाज पढ़ने का तरीका बहुत ही आसानी से समझ कर सिख जाएंगे इसलिए इस पैगाम को मन लगा कर ध्यान से पढ़ें।
Namaz Padhne Ka Tarika
सबसे पहले सही से वुजू करने के बाद क़िब्ला यानी काअबा शरीफ कि तरफ अपना शरीर का रूख करके खड़ा हो जाएं, इस तरह से खड़ा हो की दोनों पैरों के बीच की दूरी चार उंगली हो मतलब दोनों पांवों के दरमियान चार उंगली का फासला हो इसके बाद नियत करें।
1. नियत करने का तरीका
नियत करने में सबसे जरूरी बात का ध्यान रखें कि नियत कितनी रकात की करनी है, किस वक्त की करनी या कौन सी नमाज़ की करनी है जैसे कि, नियत कि मैंने (दो, तीन, चार जितनी रकअत हो उतनी रकात कहें) रकअत नमाज (फजर, जुहर, असर, मगरिब, इशा यहां पर जिस वक्त का हो उस वक्त का नाम ले) की (सुन्नत, फर्ज,वाजिब, नफ्ल) वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ इसके बाद हाथों को उठाएं और अल्लाहु अकबर कह कर नियत बांध लें।
अगर आपको नियत करने मतलब पढ़ने ना आए तो आप अपने दिल में इरादा करें कि हम इस वक्त और इस चीज़ की नमाज़ अदा कर रहे हैं।
ऐसे में हमने एक अलग पैगाम में सभी नमाज़ों की नियत लिखा है अगर आप उसे पढ़ना चाहें तो नमाज़ों की नियत पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
इसे भी समझें:- नमाज की शर्तें कितनी है?
2.नियत बांधने का तरीका
जब नियत पढ़ने के बाद तकबीरे तहरीमा कहें तब यानी अल्लाहु अकबर कहने से पहले अपने दोनों हाथों को उठाएं और कानों तक ले जाएं
अपने हाथों की दोनों अंगूठों से दोनों कानों की लौ यानी कान के निचले हिस्से को छूले इस वक्त अपने उंगलियों को ज्यादा न फैलाएं इस तरह से करें जिस तरह से नीचे की तस्वीर में दिखाई गई है फिर अल्लाहु अकबर कह कर नियत बांध लें।
3.कियाम करने का तरीका
नियत इस तरह से बांधे की हांथ नीचे लाने के बाद अपने नाफ के नीचे पहले बाएं हाथ फिर इसके उपर दाहिने हाथ को रखें दाहिनी हथेली की गद्दी बाईं कलाई पर हो और बीच की तीन उंगलियां बाईं कलाई की पुश्त पर और अंगूठा और सबसे आखिरी की छोटी उंगली दोनों उंगली अंगूठा उपर से और छोटी उंगली नीचे से पकड़ा हो जिस तरह से नीचे की तस्वीर में दिखाई गई है।
इसके बाद इसी तरह खड़े रह कर सना पढ़ें सना के अल्फाज़ कुछ इस तरह से ‘सुब्हान कला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व तआला जद्दुका वला इलाहा गैरूका पढ़ें।
फिर तअव्वुज पढ़ें, तअव्वुज के अल्फाज़ कुछ इस तरह से पढ़ें ‘अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम पढ़ने के बाद तस्मियह पढ़ें तस्मियह यानी ‘बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम’ होता है मतलब आप बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ें।
इसके बाद सुरए फातिहा पढ़ें यानी अल्हम्दु शरीफ पढ़ें वो ये है “अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमिन०अर्रहमा निर्रहीम० मालिकि यौमिद्दिन०इय्याका नअबुदु व इय्याका नस्तईन०इहदिनस सिरातल मुस्तकी म०सिरातल लजी न अन अम्ता अलैहिम गैरिल मगदूबि अल्लैहिम वलद्दाल्लीन” इसके बाद कम आवाज में आहिस्ते से आमीन कहें।
इसके बाद कोई सुरह पढ़ें आपको समझने के लिए एक सुरह बता रहे हैं, “अलम त र कै-फ फ़अल रब्बू क बि असहा बिल फिल०अलम् यजअल कैद् हुम्म फ़ी तदलिलींव०व अरसल अलैहिम तैरन अबाबिल०तरमीहिम बि हिज़ारतीम मीन सिज्जील०फ जअल हुम् कअस फिम मा कुल” आप इस सुरह को भी पढ़ें अलग रकअत में अलग अलग सुरह पढ़ें।
आपको बता दें कि यहां पर आयत भी पढ़ी जाती है एक सुरह के बदले तीन आयत पढ़ें या फिर एक आयत पढ़ें जो तीन आयतों के बराबर हो, सुरह पढ़ते समय इस बात का ख्याल रखें कि कुरआन करीम उल्टा न पड़े यानी कि शुरू में कुरान शरीफ कि आख़िरी की सुरह पढ़ी और बाद में पहले की सुरह पढ़ी ऐसा न करें, सुरह पढ़ने के बाद रूकुअ करें।
4.रूकुअ करने का तरीका
रूकुअ में इस तरह से जाएं कि अल्लाहु अकबर कहते हुए दोनों हाथ को खोलने के बाद घुटनों को पकड़ लें इस तरह से की दोनों हाथ कि हथेली घुटने पर हो और सब उंगलियां खुब फैली हुई हो।
सर पीठ के बराबर हो न उंचा और नाहि नीचा हो इस तरह की पीठ पर अगर पानी का गिलास भी तो न गिरे इस वक्त निगाह को पैर का अंगुठों पर रखें सभी चीजें नीचे कि तस्वीर में दिखाई गइ है।
यहां पर आप यानी रूकूअ में तीन मरतबा या पांच बार या फिर सात बार सुब्हान रब्बियल अज़िम पढ़ें कम से कम तीन बार भी सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ सकते हैं, इसके बाद रूकुअ से सर उठा लें।
5.कौमा का सही तरीका
रूकुअ से उठने के बाद सीधा खड़ा हो जाएं दोनों हाथों को सीधा छोड़ दें अपने नज़र को फिर सज्दे की जगह पर रखें जिस तरह से नीचे की तस्वीर में दिखाई गई है।
रूकुअ से सर उठाते समय समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें फिर सीधा खड़ा होने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें, इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं।
6.सज्दा करने का तरीका
सज्दा में इस तरह से जाएं कि सबसे पहले दोनो घुटनों को जमीं पर रखें इसके बाद दोनों हाथों को रखें फिर नाक को इसके बाद पेशानी को जमीन से लगाएं, दोनों हाथों के बीच चेहरा और नाक को रखें और बाजुओं को करवट करें।
पेट को रानों से न सटने दें और और रानों को एक दुसरे पैर की पिंडली से अलग रखें, दोनो हांथ की कोहनी जमीन से उठी हुई हो दोनो पैरों की उंगली की पेट जमीन से जुड़ा हो, हाथों के उंगलियों के साथ साथ पैर की उंगलियों को किब्ला की रूख करें सभी बात नीचे की तस्वीर में दिखाई गई है।
इस समय सज्दा के दौरान तीन मरतबा या पांच बार या फिर सात बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें, कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला ज़रूर पढ़ें की तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ना सुन्नत है जबकि पांच बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ना मुस्तहब है, इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सर उठाएं और जलसा में बैठ जाएं।
7.जलसा का सही तरीका
फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा से इस तरह से उठे की पहले पेशानी उठाएं फिर नाक फिर हांथ उठे और बायां कदम को बिछा कर उस पर बैठे और दाहिना कदम खड़ा करके रखें की उसकी उंगली किब्ला रूख हो और हांथ रानो पर घुटने के करीब रखें की हाथ की उंगली भी किब्ला रूख हो जिस तरह से नीचे की तस्वीर में दिखाई गई है।
8.सज्दा करने का तरीका
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा में जाएं इस तरह से करें पहले हांथ जमीन पर रखें फिर नाक इसके बाद पेशानी सभी चीज़ उसी प्रकार से करें जिस तरह पहली सज्दा मुकम्मल किए तस्वीर में यहां भी दिखाएं हैं, यहां भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला ज़रूर पढ़ें।
इसके बाद दुसरी रकात के लिए अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं इस तरह से कि पहले पेशानी फिर नाक इसके बाद हाथ उठे।
9.दुसरी रकात में कियाम करने का तरीका
अब दुसरी रकअत के लिए इस तरह से खड़े हो की दोनों पैरों के बीच चार उंगली का फासला हो पैर की दसों उंगलियां किब्ला की रूख हो, और नियत भी बंधी हो इस तरह से की बाया हांथ पहले नाफ के उपर रखें फिर दाहिनी हथेली बाएं हाथ के कलाई पर रखें।
दाहिने हाथ की अंगूठा को उपर से और छोटी उंगली को नीचे से बाएं हाथ की कलाई के पास पकड़े और बाकी के तीन उंगलियां बाएं हाथ की पुश्त पर जमाए और निगाह को सज्दे की जगह रखें सभी बातें नीचे की तस्वीर में दिखाई गई है।
इसके बाद सिर्फ तस्मियह यानी बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा यानी अल्हम्दु शरीफ पढ़ें सुरह फातिहा पढ़ने के बाद यहां भी आहिस्ते से आमीन कहें, फिर कुरान शरीफ कि सुरह पढ़ें, यहां पर आप तीन आयत या एक आयत तीन आयतों के बराबर हो उसे पढ़ सकते हैं, इसके बाद पहली रकअत की तरह ही यहां भी रूकुअ करें।
10.रूकुअ करने का तरीका
यहां पर भी रूकुअ में इस तरह से जाएं कि अल्लाहु अकबर कहते हुए दोनों हाथ से घुटनों को पकड़ लें इस तरह से की दोनों हाथ कि हथेली घुटने पर हो और सब उंगलियां खुब फैली हुई हो।
सर पीठ के बराबर हो न उंचा और नाहि नीचा हो इस वक्त निगाह को पैर का अंगुठों पर रखें सभी चीजें नीचे कि तस्वीर में दिखाई गई है।
यहां पर भी यानी रूकूअ में तीन मरतबा या पांच बार या फिर सात बार सुब्हान रब्बियल अज़िम पढ़ें कम से कम तीन बार भी सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ सकते हैं, इसके बाद रूकुअ से सर उठा लें।
11. कौमा का सही तरीका
रूकुअ से उठने के बाद सीधा खड़ा हो जाएं दोनों हाथों को सीधा छोड़ दें अपने नज़र को फिर सज्दे की जगह पर रखें जिस तरह से नीचे की तस्वीर में दिखाई गई है।
रूकुअ से सर उठाते समय समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें फिर सीधा खड़ा होने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें, इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं।
12.सज्दा करने का तरीका
यहां भी पहली बार की तरह सज्दा में जाएं कि सबसे पहले दोनो घुटनों को जमीं पर रखें इसके बाद दोनों हाथों को रखें फिर नाक को इसके बाद पेशानी को जमीन से लगाएं, दोनों हाथों के बीच चेहरा और नाक को रखें और बाजुओं को करवट करें, पेट को रानों से न सटने दें और रानों को एक दुसरे पैर की पिंडली से अलग रखें, दोनो हांथ की कोहनी जमीन से उठी हुई हो दोनो पैरों की उंगली की पेट जमीन से जुड़ा हो, हाथों के उंगलियों के साथ साथ पैर की उंगलियों को किब्ला की रूख करें सभी बात नीचे की तस्वीर में दिखाई गई है।
यहां भी सज्दा के दौरान तीन मरतबा या पांच बार या फिर सात बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें, कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला ज़रूर पढ़ें की तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ना सुन्नत है जबकि पांच बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ना मुस्तहब है, इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सर उठाएं और जलसा में बैठ जाएं।
13. जलसा का सही तरीका
फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा से इस तरह से उठे की पहले पेशानी उठाएं फिर नाक फिर हांथ उठे और बायां कदम को बिछा कर उस पर बैठे और दाहिना कदम खड़ा करके रखें की उसकी उंगली किब्ला रूख हो,
और हांथ रानो पर घुटने के करीब रखें की हाथ की उंगली भी किब्ला रूख हो जिस तरह से नीचे की तस्वीर में दिखाई गई है, इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा में जाएं।
14. सज्दा करने का तरीका
यहां भी इस तरह सज्दा में जाएं की पहले हांथ जमीन पर रखें फिर नाक इसके बाद पेशानी सभी चीज़ उसी प्रकार से करें जिस तरह पहली सज्दा मुकम्मल किए तस्वीर में यहां भी दिखाएं हैं, यहां भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला ज़रूर पढ़ें, इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाएं जिसे कअदए अखिरा कहेंगे।
15.कअदए अखिरा का तरीका
दुसरी रकात के दुसरी सज्दा के बाद काअदा में अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाए जिस तरह से आपने दो सज्दों के दरमियान बैठा था इस तरह से कि बायां कदम को बिछा कर उस पर बैठे और दाहिना कदम खड़ा करके रखें की उसकी उंगली किब्ला रूख हो और हांथ रानो पर घुटने के करीब रखें की हाथ की उंगली भी किब्ला रूख हो जिस तरह से नीचे की तस्वीर में दिखाई गई है।
16. तशह्हुद पढ़ने का तरीका
इसके बाद इसी तरह बैठे बैठे तशह्हुद यानी अत्तहियात पढ़ें तशह्हुद के अल्फाज़ कुछ इस तरह से पढ़ें अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सला वातु वत्तय्यिबातु अस्सलामु अलैक अय्युहन्नबियु व रहमतुल्लाही व बरकातुहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहि – स्सालिहीन अश्हदु अल्लाइल्लाह इल्लल्लाहु व अश्हदु अन्ना-मुहम्मदन अब्दुहू व रसुलुहू।
जब यह पढ़ते हुए कलिमे ‘ला’ यानी अश्हदु अल्ला पर पहुंचे तो दाहिने हाथ से शहादत उंगली उठाएं इस तरह से की अंगुठे को हल्का बनाए और शहादत के बाद की बची तीन उंगलियां को सटाएं और हथेली से मिला दें सभी चीजें नीचे कि तस्वीर में दिखाई गई है।
इसके बाद शहादत कि उंगली को अत्तहियात पढ़ते हुए ‘इल्ला’ पर पहुंचे तो गिरा दें और फिर से सभी उंगलियां सीधी कर लें जिस तरह से नीचे कि तस्वीर में दिखाई गई है।
17. दुरूदे इब्राहिम पढ़ने का तरीका
इसके बाद इसी तरह से बैठे बैठे दुरूदे इब्राहिम पढ़ें इस तरह से अल्लाहुम्म सल्लिअला सैय्यिदिना मुहम्मदिंव व अला आलि सय्यिदिना मुहम्मदीन कमा सल्लै त अला सय्यिदिना इब्राहिम व अला आलि सय्यिदिना इब्राहिमा इन्नका हमीदुम मजीद०अल्ला हुम्मा बारिक अल्ला सय्यिदिना मुहम्मदिंव व अला आलि सय्यिदिना मुहम्मदिन कमा बारकता अल्आ सय्यिदिना इब्राहिम व अला आलि सैय्यिदिना इब्राहिमा इन्नका हमीदुम मजीद। इसके बाद दुआए मासुरह पढ़ें।
18. दुआए मासुरह पढ़ने का तरीका
दुआए मासुरह का अल्फाज़ कुछ इस तरह से पढ़ें,अल्लाहुम्मग़ फिर ली वलि वालि दय्य वलिमन तवालदा वलि जमीइल मोमिनी न वल मुअमिनाती वल मुस्लिमीन वल मुस्लिमातिल अहया इ मिन्हुम वल अमवाति इन्न का मुजिबुद दअवाति बि रहमतिक या अर्हमर्राहिमिन। या फिर इसे भी पढ़ सकते हैं, अल्लाहुम्म रब्बना आतिना फिद् दुनिया ह स न तवं व फिल आखिरती ह स न तवं व किन्ना अजाबन्नार, इसके बाद सलाम फेर लें।
19. सलाम फेरने का सही तरीका
सलाम इस तरह से फेरे कि सर को सीने कि तरफ झुकाकर फिर आहिस्ता से मुकम्मल तौर से पहले दाएं तरफ सलाम अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए सर को घुमाएं और निगाह को अपने दाहिने कांधे पर रखें जिस तरह से नीचे कि तस्वीर में दिखाई गई है।
इसके बाद निगाह को नीचे रखते हुए और गर्दन को झुकाए हुए अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए बाएं कंधे कि ओर गर्दन को घुमाएं इसे भी नीचे कि तस्वीर में दिखाई गई है।
यहां तक तो आपकी दो रकात कि नमाज मुकम्मल हुई लेकिन अगर आप इसे ज्यादा यानी कि तीन रकात या चार रकात कि नमाज अदा करना हो तो इस तरह से करेंगे।
20. तिसरी रकात
जहां पर आपने दो रकात कि दुसरी सज्दा के बाद तशह्हुद में जहां कलिमे ‘ला’ पर उंगली उठाकर इल्ला पर गिराई थी उसके बाद वहीं से आप अगली यानी तिसरी रकात के लिए अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधा खड़ा हो कर नियत बांध लें जिस तरह पहली रकात के बाद दुसरी रकात में नियत यानी हाथ बांधी थी।
अब यहां पर तस्मियह यानी बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा यानी अल्हम्दु शरीफ पढ़ें सुरह फातिहा पढ़ने के बाद यहां भी आहिस्ते से आमीन कहें, फिर कुरान शरीफ कि सुरह पढ़ें।
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं जिस तरह से पहली रकअत व दुसरी रकअत में गए थे सभी चीजें हर एक बारिक से बारिक बातों का ख्याल रखें जिस तरह से पहले रूकुअ करने का तरीका हमने बताया साथ ही आपने तस्वीर में भी देखा उसी तरह यहां भी करें और रूकुअ में कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ें।
इसके बाद रूकुअ से सर उठाते हुए समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें फिर उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें पिछली रकातों में जिस तरह से हमने बताया उसी तरह तिसरी रकअत का भी रूकुअ करें।
फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें जिस तरह से पिछली रकातों में सज्दा आपने किया हर एक बात का ख्याल रखें और तिसरी रकअत कि सज्दा में भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधा जलसा में बैठे इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तिसरी रकअत कि दुसरी सज्दा भी बाकी सज्दों कि तरह मुकम्मल करें और कम से कम तीन बार सज्दे में सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए अगली रकअत मतलब चौथी रकअत के लिए खड़े हो जाएं और जिस तरह से दुसरी व तिसरी रकअत में खड़ा हुए थे सब उसी तरह खड़ा होने के बाद नीयत बांधे।
21.चौथी रकात
फिर यहां पर भी बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा को पढ़ें और इसके बाद आहिस्ते से आमीन कहें तब कुरआन करीम की सुरह पढ़ें।इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं हर बार कि तरह रूकुअ करें जिस में कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अज़िम पढ़ें।
फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए रूकुअ से सर उठाएं और सीधा होने के बाद ही रब्बना लकल हम्द कहें, सब तरीका उसी तरह से करें जिस तरह से पहले का सभी रूकुअ में किये।
फिर हर बार कि तरह रूकुअ से उठने के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं और यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से सर उठाएं सीधा होने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरी सज्दा करें हर बार कि तरह यहां भी तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं जिस तरह से दुसरी रकअत के दुसरी सज्दा के बाद कअदए अखिरा किए थे।
सभी तरीका उसी तरह करें हमने उपर में आपको कअदए अखिरा को हर बारीक से बारीक चीजों को नजर रखते हुए पुरा खुलासा करके बताया हुआ है।
अब यहां पर भी जब अतहियात पढ़ते हुए कलिमे ला पर पहुंचे तो दाहिने हाथ से शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दें हमने उपर दुसरी रकअत में जिस तरह बताया है।
इसके बाद दुरूद ए इब्राहिम पढ़ें फिर दुआए मासुरह पढ़ें हमने दोनों चीज दुसरी रकात के आखिर में बताया है फिर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए पहले दाहिने कन्धे कि ओर फिर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए बाएं कंधे कि ओर सलाम फेर लें जिस तरह से आप को तस्वीर में आखिरी में दिखाया है।
यहां तक आपकी चार रकात कि नमाज मुकम्मल हो जाएगी अब आपको आखिरी में तीन रकात कि नमाज का तरीका भी बता रहे हैं आप इस बात का ख्याल रखें कि जब आपने दुसरी रकात में बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ने के बाद और सुरह फातिहा फिर सुरह पढने के बाद रूकुअ फिर सज्दे किएं उसी वक्त खड़े होने के बजाय बैठ जाएं और कअदए अखिरा करें जिस तरह उपर में बताया गया है।
यहां भी अतहियात पढ़ें उंगली उठाएं फिर दुरूद ए इब्राहिम पढ़ें फिर दुआए मासुरह पढ़ें और सलाम फेर लें हर जिस तरह से हम ने दुसरी रकअत और चौथी रकअत के आखिर में सलाम फेरना बताया और दिखाया है।
यहां पर हमने आप को 2 रकात, 4 रकात इसके बाद 3 रकात कि नमाज अदा करने का तरीका एक के बाद एक करके बताया है यहां पर जो हमने आपको नमाज पढ़ने का तरीका बताया वो अकेला के लिए नमाज पढ़ने का तरीका बताया चाहे वह कोई आम शख्स हो या फिर इमाम हो अगर आप नमाज इमाम के पीछे अदा करेंगे तो आप सूरह फातिहा और बाकी बाद में पढ़ी जाने वाली सुरह नहीं पढ़ेंगे।
FAQ
नमाज़ में क्या पढ़ा जाता है?
नमाज़ में सुरह आयत तस्बीह अत्तहियात दुरूद शरीफ और दुआ पढ़ा जाता है।
नियत बांधने के बाद क्या पढ़ा जाता है?
नियत बांधने के बाद सना सुब्हान कला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व तआला जद्दुका वला इलाहा गैरूकापढ़ा जाता है।
रूकुअ में क्या पढ़ा जाता है?
रूकुअ में कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़ा जाता है।
सज्दा में क्या पढ़ा जाता है?
सज्दा में कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ा जाता है।
सलाम से पहले क्या पढ़ा जाता है?
सलाम से पहले दुआए मासुरह इससे पहले दुरूदे इब्राहिम इससे पहले अत्तहियात पढ़ा जाता है।
आख़िरी बात
आप को हम ने इस पैगाम में नमाज़ अदा करने का सही तरीका मुकम्मल बताया है, इसमें आप ने सभी तरीका को एक एक कर के हर भाग को अच्छे से साथ ही साथ तस्वीरों के माध्यम से भी जाना अगर आपने ध्यान से पूरा लेख पढ़ा होगा तो आप जरूर नमाज़ को सही तरीका से आसानी से अदा कर सकेंगे यकीनन यह पैग़ाम आप को ज़रूर पसन्द आया होगा।
अगर आपको इस पैग़ाम में लिखी हुई बात या कोई शब्द वाक्य समझ में न आया हो तो आप हम से अपने दोस्त या फिर भाई की तरह समझ कर अपना सवाल कॉमेंट बॉक्स के माध्यम पूछ सकते हैं या फिर अपना कुछ शुक्रिया की शब्द भी कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से हमें लिख कर के बता सकते हैं।
अगर आप ने वास्तव मे इस पैग़ाम के मदद से कुछ हासिल की तो इस पैग़ाम को अपने अज़ीजो अकारीब रिश्ते दोस्त को भी बताएं और सही तरीके से नमाज़ अदा करने का हुक्म दें और उन सभी तक इस पैग़ाम को पहुंचाएं की अच्छी बात भी फैलाना मज़हब ए इस्लाम का खुबसूरती है और अपनी नेक दुआवो में हमें भी याद रखें।
Jajakallah
Muje isse bahot kuch sikhne ko mila