Namaz Ki Niyat – सभी नमाज़ों की नियत जानिए हिंदी में

आज आप इस पैगाम के जरिए नमाज़ की नियत करने का सही और मुकम्मल तरीका जानेंगे, हम सभी मोमिनों को हर रोज की पांच वक्त नमाज़ अदा करने का हुक्म है, हम सभी को हर दिन की नमाज़ के साथ साथ नफ्ल नमाज़ भी पढ़नी चाहिए क्यूंकि नमाज़ हमे गुनाहों और बेहयाई कामों से रोकती है जिसे हमारा रब अल्लाह तबारक व तआला राज़ी होता है।

नमाज़ अदा करने का सही तरीका में से एक तरीका नियत करने का भी शामिल है नमाज़ में नियत करें तो नियत दुरूस्त तरीके से करें, हमारे मजहब ए इस्लाम में हर दिन की नमाज़ के साथ साथ अनेक तरह की नमाज़ अलग वक्त के साथ अलग अलग तरीके से नियत करके अदा की जाती है, इसीलिए यहां सभी वक्त की नमाज़ की नियत के साथ साथ सभी तरह की नमाज़ की नियत आप जानेंगे।

Namaz Ki Niyat

नियत कि मैंने (दो, तीन, चार जितनी रकअत हो उतनी रकअत कहें) रकअत नमाज (फजर, जुहर, असर, मगरिब, इशा यहां पर जिस वक्त का हो उस वक्त का नाम ले) की(सुन्नत, फर्ज,वाजिब, नफ्ल) वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

यहां पर मैंने आपको अच्छे तरीके से नियत करने का दुरुस्त तरीका बताया है अगर आप यहां से नियत करना सीख गए होंगे तो बहुत ही बेहतर है लेकिन आपको यहां पर अच्छा समझ में ना आया हो तो आप नीचे हर नमाज़ की नियत एक एक करके पढ़े हमने सभी नमाज़ों की नियत को एक एक करके अच्छे से बताया है।

पांच वक्त की नमाज़ की नियत

फजर की नियत

फज़र कि सुन्नत की नियत हिन्दी में:- नियत की मैने दो रकअत नमाज ए फजर की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

फज़र कि फर्ज की नियत हिन्दी में:- नियत की मैने दो रकअत नमाज ए फजर की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नोट:- अगर फजर की फर्ज जमाअत यानी इमाम साहब के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो ‘पीछे इस इमाम के’ बोलें, इस तरह से कि पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

ज़ोहर की नियत

ज़ोहर की चार रकअत सुन्नत की नियत:- नियत की मैने चार रकअत नमाज़ ज़ोहर की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

ज़ोहर की चार रकअत फर्ज़ की नियत:- नियत की मैने नमाज़ ज़ोहर की चार रकअत फर्ज़ वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नोट:- अगर ज़ोहर की फर्ज जमाअत यानी इमाम साहब के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो ‘पीछे इस इमाम के’ बोलें।

जोहर की दो रकअत सुन्नत की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज जोहर की सुन्नत रसूले पाक की फर्ज़ के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

जोहर की दो रकअत नफ्ल की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज जोहर की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

असर की नियत

असर की चार रकअत सुन्नत की नियत:- नियत की मैने चार रकअत नमाज़ असर की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

असर की चार रकअत फर्ज़ की नियत:- नियत की मैने चार रकअत नमाज़ असर की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नोट:- अगर असर की फर्ज जमाअत यानी इमाम साहब के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो ‘पीछे इस इमाम के’ बोलें।

मगरिब की नियत

मगरिब की तीन रकअत फर्ज़ की नियत:- नियत की मैने तीन रकअत नमाज मगरिब की फर्ज़ वास्ते अल्लाह ताअला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नोट:- अगर मगरिब की फर्ज जमाअत यानी इमाम साहब के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो ‘पीछे इस इमाम के’ बोलें।

मगरिब की दो रकअत सुन्नत की नियत:- नियत की मैने दो रकअत नमाज मगरिब की सुन्नत रसुले पाक कि वास्ते अल्लाह ताअला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

मगरिब की दो रकअत नफ्ल की नियत:- नियत की मैने दो रकअत नमाज मगरिब की नफ्ल की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

ईशा की नियत

ईशा की चार रकअत सुन्नत की नियत:- नियत की मैने चार रकअत नमाज़ ईशा की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

ईशा की चार रकअत फर्ज़ की नियत:- नियत की मैने चार रकअत नमाज़ ईशा की फर्ज़ वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नोट:- अगर ईशा की फर्ज जमाअत यानी इमाम साहब के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो ‘पीछे इस इमाम के’ बोलें।

ईशा की दो रकअत सुन्नत की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज ईशा की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

ईशा की दो रकअत नफ्ल की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज ईशा की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नमाज़-ए-वित्र की नियत:- नियत की मैने तीन रकअत नमाज वित्र की वाजिब वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नोट:- अगर वित्र का वाजिब जमाअत यानी इमाम साहब के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो ‘पीछे इस इमाम के’ बोलें।

ईशा की दो रकअत नफ्ल की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज ईशा की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

जुम्मा की नियत

दाखिल की दो रकअत सुन्नत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज मस्जिद में दाखिल होने की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।

जुम्मा की चार रकअत सुन्नत:- नियत की मैंने चार रकअत नमाज सुन्नत की वास्ते अल्लाह तआला के वक्त जुम्मे का रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।

जुम्मा की दो रकअत फर्ज:- नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ फर्ज की वास्ते अल्लाह ताला के वक्त वक्त जुम्मे का पीछे इस इमाम के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।

बाद जुम्मा चार रकअत सुन्नत:- नियत की मैंने बाद जुम्आ चार रकअत नमाज़ सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह ताला के पीछे इस इमाम के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।

जुम्मा की दो रकअत सुन्नत:-नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ जुम्मा की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।

नफ्ल की दो रकअत की नियत:- नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ नफ्ल की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।

क़जा नमाज़ की नियत

फज्र की क़जा की नीयत:- नीयत की मैने दो रकअत नमाज़ क़जा के फज्र फर्ज की अल्लाह तआला के लिए रूख मेरा काअबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।

जुहर की क़जा की नीयत :- नीयत की मैने चार रकअत नमाज़ क़जा के जुहर फर्ज की अल्लाह तआला के लिए रूख मेरा काअबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।

असर की क़जा की नीयत:- नीयत की मैने चार रकअत नमाज़ क़जा के असर फर्ज की अल्लाह तआला के लिए रूख मेरा काअबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।

मगरिब की क़जा की नीयत:- नीयत की मैने तीन रकअत नमाज़ क़जा के मगरिब फर्ज की अल्लाह तआला के लिए रूख मेरा काअबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।

इशा की क़जा की नीयत:- नीयत की मैने चार रकअत नमाज़ क़जा के इशा फर्ज की अल्लाह तआला के लिए रूख मेरा काअबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।

वित्र की क़जा की नीयत:- नीयत की मैने तीन रकअत नमाज़ क़जा के वित्र वाजिब की अल्लाह तआला के लिए रूख मेरा काअबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।

कजाए उम्र के लिए:- नीयत की मैने (दो तीन चार) रकअत नमाज़ क़जा जो मेरे जिम्मे बाकी है उनमें से पहले (फज्र, जुहर, असर, मगरिब, इशा) फर्ज अल्लाह तआला के लिए रुख मेरा काअबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।

नमाज़-ए-तरावीह की नियत

नियत की मैंने दो रकअत नमाज तरावीह की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।

नोट:- अगर तरावीह जमाअत यानी इमाम साहब के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो ‘पीछे इस इमाम के’ बोलें।

गौर करें:- इसी तरह दो दो रकअत की नियत करके पुरी बीस रकअत तरावीह की नमाज़ मुकम्मल करें।

ईद उल फितर नमाज़ की नियत

हिन्दी में:- नीयत की मैने दो रकअत नमाज़ ईदुल फित्र की वाजिब जाइद छः तकबीरों के वास्ते अल्लाह तआला पीछे इस इमाम के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरह अल्लाहु अकबर।

ईद उल अजहा नमाज़ की नियत

नीयत कि मैने दो रकअत नमाज ईदुल अजहा की वाजिब जा़इद छः तकबीरों के वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ़ अल्लाहु अकबर।

ध्यान दें:- अगर चार रकअत की नियत कर रहे हैं तो ‘नीयत की मैने चार रकअत' बोलें इसका ख्याल रखें।

नमाज़-ए-अशुरा की नियत

आशुरा कि चार रकअत नमाज़ की नियत:- नियत कि मैने चार रकअत शबे आशुरा की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

आशुरा कि दो रकअत नमाज़ की नियत:-नियत कि मैने दो रकअत शबे आशुरा की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नोट:- जितनी भी दो रकअत की नफ्ल आशुरा कि नमाज़ पढ़े‌‌ इसी तरह से नियत करें।

शबे मेराज की नमाज़ की नियत

नियत की मैने दो रकअत नमाज़ शबे मेअराज की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

शबे बरात नमाज़ की नियत

नियत कि मैंने दो रकअत नमाज शब ए बरात की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

गौर करें:- हर दो रकअत शबे बरात की नफ्ल की नियत इसी तरह से करें।

शबे कद्र नमाज़ की नियत

शबे कद्र की चार रकअत नफ्ल की नियत:-नियत कि मैंने चार रकअत नमाज शबे कद्र की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

शबे कद्र की दो रकअत नफ्ल की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज शबे कद्र की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

गौर करें:- हर दो रकअत शबे कद्र की नफ्ल की नियत इसी तरह से करें।

नमाज़-ए-तहज्जुद की नियत

नीयत की मैने दो रकअत नमाज़ तहज्जुद कि नफ्ल की वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।

नमाज़-ए-इशराक की नियत

इशराक की दो रकअत नमाज़ की नियत:- नियत कि मैंने दो रकअत नमाज इशराक की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नमाज़-ए-सलातुल तस्बीह की नियत

नियत की मैने चार रकअत नमाज़ सलातुल तस्बीह की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नमाज़-ए-हाजत की नियत

नीयत की मैने दो रकअत नमाजे सलातुल हाजत की वक्त मौजूद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।

नमाज़-ए-चाश्त की नियत

नियत की मैने दो रकअत नमाजे नमाजे चाश्त की वक्त मौजूद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहू अकबर।

नमाज़-ए-जनाजा कि नियत

नियत कि मैने नमाजे जनाजा कि चार तकबिरों के सना वास्ते अल्लाह तआला के दुरूद शरीफ वास्ते शरीफ रसूलल्लाह के दुआ वास्ते इस मैय्यत के पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

आखिरी बात

हमने यहां पर आपको सबसे कब्ल नमाज़ की नियत करने का तरीका बताया फिर आपको हर एक वक्त की नमाज की नीयत अलग अलग करके बताया साथ ही साथ सभी तरह की नमाज की नियत बताया है, आपको इस पैगाम के माध्यम से हमने हर एक तरह की नमाज़ की नियत अच्छे तरीके से बताया है जिसे पढ़ने के बाद आप नियत करना ज़रूर सिख जाएंगे।

यहां पर आपको शायद एक बात का जरूर एहसास हुआ होगा कि सभी वक्त की नमाज़ की नियत या सभी तरह की नमाज़ की नियत लगभग कुछ बदलाव को छोड़कर एक ही तरह की है हर एक नियत में सिर्फ़ तीन से चार हर्फ का बदलाव देखने को मिला होगा, लेकीन आपको यह बता दे कि इसी तरह से नमाज़ों की नियत की जाती है।

अगर आप बहुत कोशिश के बाद इस तरह से नियत जबान से ना कर पाए तो कोई हर्ज नहीं लेकीन कोशिश करें की जबान से भी नियत करें, क्यूंकि हमारा रब तो उसकी भी नमाज़ को कुबूल करता है जिसकी जबान नहीं होती बस दिल में नेक इरादा और नियत होना चाहिए लेकीन जबान वालों के लिए मुंह से नियत करना अफज़ल है।

My name is Shah Noor and I'm the Editor and Writer of Learnaze. I'm a Sunni Muslim From Jannatabad, India. I've experience teaching and writing about Islam Since 2019. I'm writing and publishing Islamic content to please Allah SWT and seek His blessings.

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