Magrib Ki Namaz Ka Tarika – मगरिब की नमाज़ पढ़ने का तरीका

आप इस पैगाम के जरिए आज जानेंगे कि मगरिब की नमाज का तरीका क्या होता है, आप और हम जानते हैं कि हम सभी के लिए हर रोज मस्जिद से पांच बार आवाज दी जाती है कि आओ अल्लाह की तरफ और कामयाबी हासिल करो।

हम सभी के लिए दुनिया के साथ साथ आखिरत में भी सुकून पाने के लिए सबसे बेहतरीन तोहफा में से एक बेहतरीन तोहफा नमाज़ है, हम सभी के बीच हर रोज पांच वक्त की नमाज अदा करने का मौका मिलता है जिसके जरिए हम सभी दुनिया के बाद आखिरत में भी सुकून पाएंगे।

आज के इस पैगाम के जरिए पांच वक्त की नमाजों में से एक नमाज़ जिसे मगरिब का वक्त में अदा किया जाता है जिसे मगरिब का नमाज भी कहते हैं तो आपको इस आर्टिकल में मगरिब की नमाज का तरीका जानने को मिलेगा।

Magrib Ki Namaz Ka Tarika

आपको यह बता दें कि नमाज़ ए मग़रिब में सबसे पहले फर्ज़ नमाज़, सुन्नत इसके बाद नफ्ल नमाज़ पढ़ी जाती है:-

  • सबसे पहले मगरिब की तीन रकअत फर्ज़ पढ़े।
  • फिर इसके बाद दो रकअत मगरिब की सुन्नत पढ़े।
  • अब मगरिब की आखिरी के दो रकअत नफ्ल पढ़े।

मगरिब की 3 रकात फर्ज़ पढ़ने का तरीका – पहली रकात

  1. सबसे पहले नियत पढ़े अगर आप को मालूम नहीं है तो नीचे लिखा हुआ है उसे याद कर ले।
  2. नियत को पढ़ने के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथों को बांध लें जिस तरह से नियत बांधी जाती है।
  3. अगर जमाअत में हैं तो इमाम साहब के अल्लाहु अकबर कहने पर नियत बांधे।
  4. अब आप सना पढ़े ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’।
  5. फिर अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।
  6. अब अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा को पढ़े फिर कुरान शरीफ की सुरह पढ़े।
  7. अगर आप जमाअत के साथ नमाज अदा कर रहे हैं तो आपको सिर्फ सना तक ही पढ़ना है।
  8. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकूअ करेंगे और इसमें तीन बार पांच बार या सात बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  9. यहां पर भी ध्यान दें कि इमाम के पीछे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर रुकूअ करना है।
  10. अब सिधे खड़े होने के लिए समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें फिर बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  11. अगर इमाम के पीछे हैं तो सिर्फ रब्बना लकल हम्द कहें, क्यूंकि समिअल्लाहु लिमन हमिदह इमाम साहब कहेंगे।
  12. अगर अकेले हैं तो अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे करें अगर इमाम साहब है तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर सज्दा करें।
  13. अब आप को तीन बार, पांच बार या सात बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ना है।
  14. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़ी देर के लिए बैठे उसके बाद तुरंत दूसरी सजदा भी पिछली बार की तरह करें।
  15. यहां तक आप की पहली रकअत मुकम्मल हो गई अब अल्लाहु अकबर कहते हुए या फिर इमाम को कहने पर दूसरे रकअत के लिए खड़े हो जाएं।

मगरिब की 3 रकात फर्ज़ पढ़ने का तरीका – दुसरी रकात

  1. इसमें सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा को पढ़े फिर कुरान शरीफ की सुरह को पढ़े।
  2. अगर जमाअत में यानी इमाम साहब के पीछे हैं तो आपको सिर्फ सुनना है।
  3. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार यहां पर भी सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  4. यहां पर भी ध्यान देने की बात यह है कि अगर आप इमाम के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर रूकुअ करेंगे।
  5. लेकिन कम से कम तीन बार आपको सुब्हान रब्बियल अजिम कहना ही है।
  6. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  7. अगर जमाअत के साथ मग़रिब का फर्ज अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब के समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहने पर उठना है।
  8. लेकिन आपको यहां पर भी रब्बना लकल हम्द कहना ही है।
  9. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌ इसी तरह सज्दा दो मर्तबा करें ।
  10. अगर इमाम साहब के पिछे नमाज अदा कर रहे हैं तो इमाम साहब के अल्लाहु अकबर कहने पर सज्दा करें।
  11. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाए और अतहियात पढ़े।
  12. अत्तहियात में जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं।
  13. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए तीसरी रकअत के लिए खड़े हो जाएं इमाम के साथ हो तो उनके कहने पर खड़े होना है।

मगरिब की 3 रकात फर्ज़ पढ़ने का तरीका – तीसरी रकात

  1. अब सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सूरह फातिहा को पढ़े और रूकुअ करें।
  2. लेकिन अगर आप इमाम के पीछे नमाज अदा कर रहे हैं तो उनके कहने पर ही पिछले बार की तरह ही रूकुअ करें।
  3. इसके बाद अल्लाहु अकबर करते हुए हर बार की तरह सजदा करें इमाम के पीछे हैं तो उनके अल्लाहु अकबर कहने पर सजदा करें।
  4. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाएं और अतहियात पढ़े।
  5. अतहियात पढ़ते हुए जब कलिमे ला पर पहुंचे तो दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दें।
  6. इसके बाद दुरूद ए इब्राहिम को पढ़े और फिर दुआए मासुरह को पढ़े।
  7. इसके बाद सलाम फेर लें पहले दाहिने कन्धे फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन घुमाएं।
  8. अगर आप इस फर्ज की नमाज को जमाअत के पीछे पढ़ रहे हैं तो उनके अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहने पर अपनी गर्दन को पहले दाहिने फिर बाएं कंधे की ओर घुमाएं।
  9. यहां पर आपकी मगरिब की नमाज के तीन रकअत की फर्ज नमाज मुकम्मल हो गई।

मगरिब की दो रकात सुन्नत पढ़ने का तरीका -पहली रकात

  1. सबसे पहले नियत करें अगर आपको नियत नहीं मालूम है तो मैने मगरिब की सुन्नत कि नीयत नीचे बताया है उसे याद कर लें।
  2. जब नियत में अल्लाहु अकबर कहने लगे तो अपने दोनों हाथों को कानों कि लौ तक उठाएं और हाथ नीचे करके नियत बांध लें।
  3. इसके बाद सना ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ पढ़े।
  4. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।
  5. अब आप अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़े फिर आहिस्ते से ‘आमीन’ कहें।
  6. इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी छोटी बड़ी सूरह को पढ़ सकते हैं।
  7. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  8. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  9. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  10. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे इसके बाद तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  11. फिर लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं यहां तक पहली रकअत मुकम्मल हो गई।

मगरिब की दो रकात सुन्नत पढ़ने का तरीका – दूसरी रकअत

  1. यहां पर दूसरी रकअत मे सना न पढ़े सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान करीम की कोई भी सूरह पढ़े।
  2. फिर इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन दफा सुब्हान रब्बिल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और इसके बाद रब्बना लकल हम्द कहें।
  4. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  5. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाए और अतहियात पढ़े।
  7. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  8. अब दुरुद शरीफ और दुआ ए मासुरह को पढ़े और सलाम फेर लें।
  9. सबसे पहले दाहिने कन्धे कि ओर गर्दन घुमाएं और अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहें।
  10. फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को घुमाएं, आपकी सुन्नत नमाज़ पूरी हो गई।

मगरिब की दो रकात नफ्ल पढ़ने का तरीका -पहली रकात

  1. सबसे पहले नियत करें, अगर मालुम न हो तो इसका भी नीयत नीचे बताया है उसे याद कर लें।
  2. जब नियत में अल्लाहु अकबर कहने लगे तो अपने दोनों हाथों को अपने कानों कि लौ तक उठाएं और हाथ नीचे करके नियत बांध लें।
  3. इसके बाद सना पढ़े यानी ‘सुब्हान कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका‌ व तआला जद्दुक वला इलाहा गैरुक’ को पढ़े।
  4. इसके बाद अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।
  5. अब आप अल्हम्दु शरीफ यानी सुरह फातिहा पढ़े ख़त्म होने के बाद फिर आहिस्ते से ‘आमीन’ कहें।
  6. इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी छोटी बड़ी सूरह को पढ़ सकते हैं।
  7. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अजिम पढ़े।
  8. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहें और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें सीधे होने तक दोनों को पढलें।
  9. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  10. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठ जाएं फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  11. फिर लंबे सांस में अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं यहां तक नफ्ल एक रकअत भी मुकम्मल हो गई।

मगरिब की दो रकात नफ्ल पढ़ने का तरीका – दूसरी रकात

  1. यहां पर दूसरी रकअत मे सना को न पढ़े सिर्फ बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ कर सुरह फातिहा और कुरान की कोई भी छोटी सुरह या बड़ी सूरह को पढ़े।
  2. फिर इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजिम पढ़े।
  3. फिर उठते वक्त समिअल्लाहु लिमन हमिदह पढ़े‌ और उठने के बाद रब्बना लकल हम्द कहें पिछली बार की तरह।
  4. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दा करें और यहां पर कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बिल अअला पढ़े‌।
  5. फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए थोड़े समय के लिए बैठे फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए पिछली बार की तरह सज्दा करें।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए तशह्हुद के लिए बैठ जाए और अतहियात पढ़े।
  7. जब कलिमे ‘ला’ के करीब पहुंचे तो अपने दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दे।
  8. अब दुरुद शरीफ पढ़े आपको यह जरूर मालूम होगा कि यहां पर दुरूद ए इब्राहिम पढ़ा जाता है।
  9. अब आखरी में सिर्फ दुआ ए मासुरह को पढ़े और सलाम फेर लें।
  10. सबसे पहले अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए दाहिने कन्धे कि ओर गर्दन को घुमाएं।
  11. फिर बाएं कंधे की ओर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को घुमाएं।

यहां पर आपकी मगरिब की नफ्ल नमाज़ भी मुक्कमल हो गई।

मगरिब की नमाज़ की रकात

मगरिब की नमाज में सभी मिलाकर सात 7 रकात होती है, सबसे पहले तीन 3 रकात फर्ज इसके बाद दो 2 रकअत सुन्नत और आखरी में दो 2 रकात नफ्ल पढ़ी जाती है, इस वक्त की नमाज यानी मगरिब की नमाज को मुकम्मल तीन सलाम में किया जाता है।

मगरिब की नमाज़ की नियत

मगरिब की तीन रकअत फर्ज़ की नियत:- नियत की मैने तीन रकअत नमाज मगरिब की फर्ज़ वास्ते अल्लाह ताअला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला सलस् रकाति सलावति मग़रिबी फर्जुलल्लाहे मुतवाजिहन इला जिहातिल काअबतिस शरिफती अल्लाहु अकबर।

मगरिब की दो रकअत सुन्नत की नियत:- नियत की मैने दो रकअत नमाज मगरिब की सुन्नत रसुले पाक कि वास्ते अल्लाह ताअला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावति मग़रिबी सुन्नत रसुलल्लाहे मुतवाजिहन इला जिहातिल काअबतिस शरिफती अल्लाहु अकबर।

मगरिब की दो रकअत नफ्ल की नियत:- नियत की मैने दो रकअत नमाज मगरिब की नफ्ल की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावति नफ्ली मुतवाजिहन इला जिहातिल काअबतिस शरिफती अल्लाहु अकबर।

ध्यान दें:- अगर फर्ज नमाज़ जमाअत के साथ अदा कर रहे हैं तो हिन्दी नीयत में अल्लाह ताअला के बाद ‘पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर' कहें।

अरबी नियत में फर्जुलल्लाहे के बाद इकत् दयतु बिहाजल इमाम मुतवाजिहन इला जिहातिल काअबतिस शरिफती अल्लाहु अकबर’ कहें।

मगरिब की नमाज़ का टाइम

मगरिब की नमाज का टाइम गुरुबे अफताब यानी सूरज डूबने से लेकर गुरूबे शफक यानि जब पश्चिम की जानिब में सुरखी डूबने के बाद उत्तर दक्षिण दिशा में सुबह सादिक की तरह सफेदी फैली रहती है।

इस वक्त तक मगरिब की नमाज मुकम्मल कर लेनी चाहिए, हमें और आपको मालूम होना चाहिए कि मगरिब की नमाज अव्वल वक्त में पढ़ना मुस्तहब है और ताखीर यानी देर से पढ़ना मकरूह माना जाता है।

यही कारण है कि आप जरूर देखते होंगे कि मस्जिदों में अजान खत्म होने के बाद तुरंत जमाअत के लिए तकबीर हो जाती है, क्योंकि अजाने मगरिब के बाद बिला वजह देर से पढ़ना सुन्नत के खिलाफ़ है।

आखिरी बात

आज आपने इस पैगाम के जरिए जाना की मगरिब की नमाज पढ़ने का मुकम्मल और दुरुस्त तरीका साथ ही साथ आपको मगरिब की नमाज की नियत, रकात और वक्त की इल्म हासिल हुई, हमने इसमें सभी बातों को बहुत ही आसान लफ्ज़ और साधारण भाषा में व्यक्त किया है।

हमें यकीन है कि यह लेख आपके लिए काफी लाभदायक और सहायक रहा होगा इसे पढ़ने के बाद आप जरूर मगरिब की नमाज पढ़ने का मुकम्मल तरीका जान गए होंगे, हमारा लक्ष्य अव्वल से लेकर आखिर तक यही है कि हम सभी को इस्लामी मालूमात अच्छे तरीके से मालूम हो और हम अपने इस्लामी राह पर चलें।

अगर यह पैगाम आपको पसंद आया हो तो इस पैगाम को अपने करीबी और अहबाबों के बीच जरूर शेयर करें इसका फायदा हमें और आपको दुनिया के साथ साथ आखिरत में भी देखने को मिलेगा क्योंकि इस्लामी इल्म दूसरे को बताने में बहुत बड़ा सवाब हासिल होता है।

My name is Shah Noor and I'm the Editor and Writer of Learnaze. I'm a Sunni Muslim From Jannatabad, India. I've experience teaching and writing about Islam Since 2019. I'm writing and publishing Islamic content to please Allah SWT and seek His blessings.